हनुमान चालिसा मराठीत | Hanuman Chalisa in Marathi

Dhaval Rathod
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हनुमान चालिसा मराठीत | Hanuman Chalisa in Marathi : हनुमान चालिसा मराठीत एक अत्यंत प्रभावशाली आणि पवित्र प्रार्थना आहे, जी श्री हनुमानांच्या शक्ती आणि महिमा विषयी मार्गदर्शन करते. "Hanuman Chalisa in Marathi" वाचून भक्त श्री हनुमानांच्या आशीर्वादाने आपल्या जीवनातील संकटांवर मात करू शकतात आणि त्यांच्या मनःशांतीसाठी एक नवीन मार्ग मिळवू शकतात. हनुमान चालिसाचा पाठ प्रत्येक दिवशी केल्याने सकारात्मक उर्जा आणि शांतीचा अनुभव होतो.

हनुमान चालिसा मराठीत | Hanuman Chalisa in Marathi
हनुमान चालिसा मराठीत | Hanuman Chalisa in Marathi

मराठीत "हनुमान चालिसा" वाचल्याने भक्तांना हनुमानांच्या भक्तीत एक विशेष अनुभव मिळतो. "Hanuman Chalisa Marathi" शब्दांचे उच्चारण आणि अर्थ लक्षात घेतल्याने भक्त आपल्या जीवनात दैवी शक्तीचा अनुभव घेऊ शकतात. हनुमान चालिसा वाचनामुळे भक्त आपल्या दैनंदिन जीवनात उत्साह, आत्मविश्वास आणि शांती मिळवू शकतात.

हनुमान चालिसा मराठीत | Hanuman Chalisa in Marathi

दोहा

श्री गुरु चरण सरोज रज निजमन मुकुर सुधारि ।

वरणौ रघुवर विमलयश जो दायक फलचारि ॥

बुद्धिहीन तनुजानिकै सुमिरौ पवन कुमार ।

बल बुद्धि विद्या देहु मोहि हरहु कलेश विकार ॥


ध्यानम्

अतुलित बलधामं स्वर्ण शैलाभ देहम् ।

दनुज वन कृशानुं ज्ञानिना मग्रगण्यम् ॥

सकल गुण निधानं वानराणा मधीशम् ।

रघुपति प्रिय भक्तं वातजातं नमामि ॥


गोष्पदीकृत वाराशिं मशकीकृत राक्षसम् ।

रामायण महामाला रत्नं वंदे-(अ)निलात्मजम् ॥

यत्र यत्र रघुनाथ कीर्तनं तत्र तत्र कृतमस्तकांजलिम् ।

भाष्पवारि परिपूर्ण लोचनं मारुतिं नमत राक्षसांतकम् ॥


मनोजवं मारुत तुल्यवेगम् ।

जितेंद्रियं बुद्धि मतां वरिष्टम् ॥

वातात्मजं वानरयूथ मुख्यम् ।

श्री राम दूतं शिरसा नमामि ॥


चौपाई

जय हनुमान ज्ञान गुण सागर ।

जय कपीश तिहु लोक उजागर ॥ 1 ॥


रामदूत अतुलित बलधामा ।

अंजनि पुत्र पवनसुत नामा ॥ 2 ॥


महावीर विक्रम बजरंगी ।

कुमति निवार सुमति के संगी ॥3 ॥


कंचन वरण विराज सुवेशा ।

कानन कुंडल कुंचित केशा ॥ 4 ॥


हाथवज्र औ ध्वजा विराजै । [औरु]

कांथे मूंज जनेवू साजै ॥ 5॥


शंकर सुवन केसरी नंदन । [शंकर स्वयं]

तेज प्रताप महाजग वंदन ॥ 6 ॥


विद्यावान गुणी अति चातुर ।

राम काज करिवे को आतुर ॥ 7 ॥


प्रभु चरित्र सुनिवे को रसिया ।

रामलखन सीता मन बसिया ॥ 8॥


सूक्ष्म रूपधरि सियहि दिखावा ।

विकट रूपधरि लंक जलावा ॥ 9 ॥


भीम रूपधरि असुर संहारे ।

रामचंद्र के काज संवारे ॥ 10 ॥


लाय संजीवन लखन जियाये ।

श्री रघुवीर हरषि उरलाये ॥ 11 ॥


रघुपति कीन्ही बहुत बडायी (ई) ।

तुम मम प्रिय भरत सम भायी ॥ 12 ॥


सहस्र वदन तुम्हरो यशगावै ।

अस कहि श्रीपति कंठ लगावै ॥ 13 ॥


सनकादिक ब्रह्मादि मुनीशा ।

नारद शारद सहित अहीशा ॥ 14 ॥


यम कुबेर दिगपाल जहां ते ।

कवि कोविद कहि सके कहां ते ॥ 15 ॥


तुम उपकार सुग्रीवहि कीन्हा ।

राम मिलाय राजपद दीन्हा ॥ 16 ॥


तुम्हरो मंत्र विभीषण माना ।

लंकेश्वर भये सब जग जाना ॥ 17 ॥


युग सहस्र योजन पर भानू ।

लील्यो ताहि मधुर फल जानू ॥ 18 ॥


प्रभु मुद्रिका मेलि मुख माही ।

जलधि लांघि गये अचरज नाही ॥ 19 ॥


दुर्गम काज जगत के जेते ।

सुगम अनुग्रह तुम्हरे तेते ॥ 20 ॥


राम दुआरे तुम रखवारे ।

होत न आज्ञा बिनु पैसारे ॥ 21 ॥


सब सुख लहै तुम्हारी शरणा ।

तुम रक्षक काहू को डर ना ॥ 22 ॥


आपन तेज सम्हारो आपै ।

तीनों लोक हांक ते कांपै ॥ 23 ॥


भूत पिशाच निकट नहि आवै ।

महवीर जब नाम सुनावै ॥ 24 ॥


नासै रोग हरै सब पीरा ।

जपत निरंतर हनुमत वीरा ॥ 25 ॥


संकट से हनुमान छुडावै ।

मन क्रम वचन ध्यान जो लावै ॥ 26 ॥


सब पर राम तपस्वी राजा ।

तिनके काज सकल तुम साजा ॥ 27 ॥


और मनोरथ जो कोयि लावै ।

तासु अमित जीवन फल पावै ॥ 28 ॥


चारो युग प्रताप तुम्हारा ।

है प्रसिद्ध जगत उजियारा ॥ 29 ॥


साधु संत के तुम रखवारे ।

असुर निकंदन राम दुलारे ॥ 30 ॥


अष्ठसिद्धि नव निधि के दाता ।

अस वर दीन्ह जानकी माता ॥ 31 ॥


राम रसायन तुम्हारे पासा ।

सदा रहो रघुपति के दासा ॥ 32 ॥


तुम्हरे भजन रामको पावै ।

जन्म जन्म के दुख बिसरावै ॥ 33 ॥


अंत काल रघुपति पुरजायी । [रघुवर]

जहां जन्म हरिभक्त कहायी ॥ 34 ॥


और देवता चित्त न धरयी ।

हनुमत सेयि सर्व सुख करयी ॥ 35 ॥


संकट क(ह)टै मिटै सब पीरा ।

जो सुमिरै हनुमत बल वीरा ॥ 36 ॥


जै जै जै हनुमान गोसायी ।

कृपा करहु गुरुदेव की नायी ॥ 37 ॥


यह शत वार पाठ कर कोयी । [जो]

छूटहि बंदि महा सुख होयी ॥ 38 ॥


जो यह पडै हनुमान चालीसा ।

होय सिद्धि साखी गौरीशा ॥ 39 ॥


तुलसीदास सदा हरि चेरा ।

कीजै नाथ हृदय मह डेरा ॥ 40 ॥


दोहा

पवन तनय संकट हरण - मंगल मूरति रूप् ।

राम लखन सीता सहित - हृदय बसहु सुरभूप् ॥

सियावर रामचंद्रकी जय । पवनसुत हनुमानकी जय । बोलो भायी सब संतनकी जय ।


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